ब्यूरो रिपोर्ट – प्रियेश गुप्ता रुद्र
संपादक डा सैय्यद नौशाद अली
जौनपुर – जिला महिला चिकित्सालय,जौनपुर की छवि धूमिल करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है दिनांक 20.06.2025 को सिरकोनी से रेफर गर्भवती महिला जब सदर पहुंची तो वहां ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों का कहना है कि जब वह जिला महिला चिकित्सालय लायी गयी तो उसका बच्चा पेट में बेड़ा था और हाथ बच्चेदानी से बाहर आ चुका था और बच्चे की धड़कन नहीं मिल रही थी। सूत्रों से पता चला है कि महिला का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ था और खून में बहुत ज्यादा इंफेक्शन भी था। मरीज के परिजनों ने BHU जाने से मना कर दिया और नार्मल डिलीवरी करवाने का दबाव देने लगे तब चिकित्सकों ने मरीज की जान बचाने के लिए तुरंत ऑपरेशन की सलाह दी।यह सुनते ही मरीज के परिजन वहां से नदारद हो गए। जब रात को मरीज का पति आया तो काफी समझने और समझाने के बाद लगभग 10 बजे उसने ऑपरेशन के लिए सहमति दी और अस्पताल के रूल को फॉलो किया, जिसके बाद ऑपरेशन कर किसी तरह से ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर द्वारा मरीज कि जान बचाई जा सकी और गर्भ में पहले से ही मृत्यु हो चुके बच्चे को परिजनों को सौंप दिया गया। कुछ कथित पत्रकारों के द्वारा सरकार और डॉक्टरों की छवि धूमिल करने के लिए मरीज के परिजनों को बरगलाया गया और उनकी बाइट चिकित्सालय और डाक्टरों पर आरोप लगवाते हुए ली गई। अब प्रश्न यह उठता है कि बेड़े बच्चे के लिए आखिर नार्मल डिलीवरी का प्रयास कहां कराया जा रहा था और क्या बिना परिजनों की सहमति के किसी मरीज का ऑपरेशन किया जा सकता है? फिर क्यों डॉक्टरों पर आरोप लगाए जा रहे हैं? क्या इस तरह के आरोपों से सरकारी चिकित्सालयों और डॉक्टरों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है !अगर इसी तरीके से डॉक्टरों को बदनाम करने की कोशिश हमारे पत्रकार भाई लिखते/ करते रहेंगे तो आने वाले दिनों में कोई भी डॉक्टर मरीज के इलाज से अपने को बचाने की कोशिश करेगा और ऐसे क्रिटिकल केस को देखने के बाद तुरंत रेफर कर देगा, तब गरीब मरीजों का क्या होगा जब क्रिटिकल जैसे केस जिला चिकित्सालय में आसानी से ऑपरेट कर दिए जाते हैं !जब डॉक्टर किसी मरीज की जान बचाने के लिए भरपूर प्रयास कर उसे जिंदा कर दे,और उसके बाद भी उन पर आरोप लगा कर बदनाम किया जाय तो उसका नतीजा ग़रीब मरीजों को भुगतना पड़ेगा और डॉक्टर बदनाम होने के डर से ऐसे क्रिटिकल केस के मरीजों को रेफर कर देंगे तब क्या स्थिति होगी इस पर सभी को विचार करने की ज़रूरत है।